इतिहास का जीवित धरोहर है लालकिला

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लालकिला, एक ऐसा नाम जो किसी पहचान की मुहताज नहीं है। यह ईट और पत्थर से बना, महज एक भवन नहीं। बल्कि, इतिहास की जिवित धरोहर है। राजा बदले, राजघराना बदला और सत्ता का केन्द्र भी बदलता रहा। मुगल से लेकर अंग्रेज तक और अब स्वतंत्र भारत में कॉग्रेस से लेकर बीजेपी तक। हुकूमत बदली। हुक्मरान भी बदले। पर, लालकिला का प्रचीर नहीं बदला। लालकिला की आन, बान और शान नहीं बदला। तभी तो यूनेस्को ने इस लालकिला को विश्व का धरोहर घोषित कर दिया है। 26 जनवरी 2021 को लालकिला पर जो हुआ। उसको हम सभी ने देखा। किसी ने किसानो की गलती देखी और किसी ने सरकार की। पर, जो नहीं दिखा। वह था लालकिला की महत्ता। इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। केकेएन लाइव के ‘‘खबरो की खबर’’ के इस सेगमेंट में लालकिला की विशिष्ट पहचान से पर आधारित इस रिपोर्ट को देखिए…

 

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