प्लासी से शुरू हुए दासता के मौजू को समझने की जरुरत है

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वह 1757 का साल था। बंगाल के  मुर्शिदाबाद जिला मुख्यालय से करीब 22 मील दूर गंगा नदी के किनारे प्लासी के मैदान में युद्ध के बादल मंडराने लगा था। एक ओर थीं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और दूसरी ओर थीं, बंगाल के नवाब सिराज़ुद्दौला की सेना। 23 जून की सुबह कंपनी कमांडर रॉबर्ट क्लाइव ने फायर का आदेश दे दिया। इसी के साथ घनघोर युद्ध शुरू हो गया। इतिहास में इसको प्लासी के युद्ध के नाम से जाना जाता है। भारत में अंग्रजो के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से लड़ा जाने वाला यह पहला युद्ध था। यही से शुरू होता है भारत के दासता की कहानी। प्लासी की कहानी आज भी मौजू है। कैसे? देखिए इस रिपोर्ट में…

 

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