सूर्य ग्रहण का अध्ययन हेतु नासा का ऐतिहासिक अभियान

आज यानी 11 अगस्त को इस साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण को करीब से देखने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष ऐजेंसी नासा ने एक विशेष योजना बनाई है।

नासा ने इसके लिए अपना पार्कर सोलर प्रोब स्पेस एयरक्राफ्ट लॉन्च कर दिया है। नासा का स्पर्श सूर्य मिशन यदि सफल हुआ तो एक नए इतिहास की रचना हो सकती है। क्योंकि यह दुनिया की किसी अंतरिक्ष एजेंसी का पहला ऐसा अनोखा अभियान है, जो सूर्य के सबसे करीब पहुंचने की कोशिश करेगा।
कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
नासा के मुताबिक यह आंशिक सूर्य ग्रहण चीन के कुछ भागों में दिखाई देगा। इसके अलावा नोर्थ कनाडा, नोर्थ ईस्टर्न यूएस, ग्रीनलैंड, साइबेरिया और सेंट्रल एशिया के कुछ भागों में भी यह सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। ग्रीन विच मीन टाइम के अनुसार यह सुबह 9 बजे शुरू होगा और नोर्थ अमेरिका और ग्रीनलैंड में होता हुआ 12.32 पीएम जीएमटी पर समाप्त होगा। आपको बता दें कि इससे पहले 13 जुलाई को लगने वाला सूर्य ग्रहण आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में दिखाई दिया था।
दोपहर को लॉच होगा अमेरिकी मिशन
नासा का टच सन मिशन पार्कर सोलर प्रोब को डेल्टा-आईवी हैवी रॉकेट से केप कनावरल एयरफोर्स स्टेशन से लॉच होना है। यह अमेरिकी समायानुसार आज 3.33 बजे सुबह उड़ान भरेगा। भारतीय समय के हिसाब से देखें तो यह आज दोपहर करीब 2 बजकर 54 मिनट पर इसे लॉन्च किया जाएगा। यएलए के जनरल मैनेजर ब्रेन टालि आंसिच ने कहा कि लॉन्चिंग के लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। बहरहाल, एयरफोर्स के इस लॉन्च पैड के आस पास लोगों की आवाजाही को कम कर दिया गया है। रॉकेट अंतरिक्ष यान को जमीन से 230 फीट की ऊचाई पर लगाया गया है। यह रॉकेट बहुत ही विशाल काय है। इसकी लंबाई 72 मीटर और चौड़ाई 15 मीटर है। इसमें 600 टन का ईंधन भरा हुआ है।
अभियान से जुड़ी ये खास बातें
दरअसल, यहं अंतरिक्ष यान 7.24 लाख पीएच की गति से उड़ान भरेगा। आपको बतातें चलें कि पृथ्वी से सूर्य की दूरी करीब 1,496 करोड़ किलोमीटर है। नासा का यह अंतरिक्षयान जब सूर्य के सबसे करीब होगा तब उसकी सूर्य से दूरी करबी 62 करोड़ किलोमीटर की होगी। योजना के मुताबिक 2 अक्टूबर को यह वीनस की कक्षा में पहुंच जायेगा। यह अंतरिक्ष यान दिसंबर में वापसी के लिए उड़ान भरेगा। कहतें हैं कि जब यह यान सूर्य के सबसे करीब होगा, तब वहां का तापमान 1400 डिग्री सेल्सियस होने का अनुमान है। इस तापमान से यान को बचाने के लिए 12 सेमी मोटी ऊष्मारोधी परत लगाई गई है। दरअसल, नासा का यह सोलर प्रोब अंतरिक्ष यान सूर्य के करीब पहूंच कर सूर्य की तस्वीरें खींचेगा और सूर्य के तापमान का भी अध्ययन करेगा।

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